बुधवार, 11 नवंबर 2009

छत्तीसगढ़ी कविता .......................... दँदर गेन ददा .

......... दँदर गेन ददा .
जिनगी बोझहा बिकट के , दँदर गेन ददा ।
कतका रोवन रोवई मा, कँदर गेन ददा ।।
उबरे खातिर ए पीरा ले उदिम करेन ।
सरी उदिम ला करके, लथर गेन ददा ।।
दाऊ बाढ़ी का देतिस , नई दाना मिलिस ।
ऊँखर पइंया ला धर के, घिलर गेन ददा ।।
लड़बो हक के लड़ई, कहिके कम्मर कसेन ।
दुवे दिन के लड़ई मा, ढिलर गेन ददा ।।
काय सपना कलेवा के, हम हा देखन ।
सुक्सा भाजी बर घलो, सुरर गेन ददा ।।
परकम्मा पिरित बर, हम जग के करेन ।
चारो कोती मया बर, किंजर गेन ददा ।।
कतका करतेन साहन, 'पकलू' तहीं बता ।
फाँदा-फाँसी मा चढ़के, झुलर गेन ददा ।।


मिथलेश शर्मा निसार
(कवि निवास) अरजुन्दा
जिला-दुर्ग (छ.ग.) 491225
मो. 9755057245

शनिवार, 7 नवंबर 2009

सूपा मन चुप बइठे हें अऊ, चलनी बिक्कट बोलत हे ।

सूपा मन चुप बइठे हे अऊ,
चलनी बिक्कट बोलत हे
कोइली ताकत बइठे हे,
अऊ कागा आम खखोलत हे ।।
छाती के तै दूध पियाए ,
लइका के बड़ साद रहिस ,
उही दूध ला पीके बेटा,
छाती ला अब छोलत हे
सूपा मन ...........
मटिया कस सब खुसर-खुसर,
हमला जी फोकला कर दिन
परे बिपत में उही मनखे मन अब ,
हमला ठोलत हे ।।
सूपा मन ...........
दू दिन रहिके चह देहूँ मैं ,
अइसन आस बंधा रहिगे
मार कुंडली फन काढ़त हे ,
दुख हालत डोलत हे ।।
सूपा मन ...........
दू कउड़ी अउकात नही तेन ,
सान देख ले 'पकलू' अब
हमर लिलामी होत देखके ,
अउने-पउने मोलत हे ।।
सूपा मन ...........

मौलिक/अप्रकाशित/अप्रसारित


मिथलेश शर्मा निसार
(कवि निवास) अरजुन्दा
जिला-दुर्ग (..) ४९१२२५

शनिवार, 31 अक्टूबर 2009

इरखा निंदा में काबर बूड़े रहिगेन जी........

इरखा निंदा में काबर बूड़े रहिगेन जी,
तातारस्सी में काबर करू कहिगेन जी
गीता पढ़ेन अउ रामायण पढ़ेन,
तभो ले कुद-कुद के हमन लड़ेन जी,
मनखे हो के निसाचर बने रहिगेन जी
सुम्मत के डोरी ला छरिया डरेन
अपन मुँहु ला अपनेच करिया डरेन
कइसे काखर बहकना में हम बहिगेन जी
बिलई-झगरा मा बेंदरा मजा मार दिस ,
हमर पेटे मा भुर्री, दुसर बार दिस
कइसे पखरा ला छाती मा,हम सहिगेन जी


मौलिक/अप्रकाशित/अप्रसारित


मिथलेश शर्मा'निसार'
(कवि निवास) अरजुन्दा
जिला-दुर्ग (छ.ग.) 491225

शुक्रवार, 14 अगस्त 2009

विडम्बना


॥ विडम्बना

....
आज
आदमी पैदा नहीं होता है,
हिन्दू पैदा होता है,
मुस्लिम पैदा होता है,
हिन्दुस्तान में,
ब्राह्मण, क्षत्रीय, वैश्य, शुद्र,
पाकिस्तान में,
सिया और सुन्नी पैदा होता है,
अफ्रीका में,
गोरा और काला पैदा होता है,
आदमी गुलाम पैदा होता है,
शासक पैदा होता है,
आदमी,
कहीं पैदा नहीं होता है,
बनता है,
प्रगतिशील, परम्परावादी,
सुधारवादी, प्रतिक्रियावादी,
नहीं बनता है, सिर्फ आदमी,
करता है,
शासन की सेवा, समाज की सेवा
खुद की सेवा, देश की सेवा,
नहीं करता है, आदमी की सेवा,
जहर भर गया है हवाओं में,
आदमी सस्ते में बीक रहा है ,
चौराहों पर..........


श्री बी.एल.पाल (SDOP)
मो.-9425568322
MIG-562/न्यू बोरसी दुर्ग

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रविवार, 9 अगस्त 2009

रिश्वत

काव्य संकलन - "बहुत जरूरी है "


..:: रिश्वत
::..

रधिया,
अपने माँ-बाप की गरीबी से तंग ।
शराबी बाप का,
रोज-रोज हुड़दंग ।
बेरोजगार भाई की,
आँखों में सपना ।
होता क्यों नहीं,
कोई नौकरी भी अपना ।
लेकर अपने भाई की,
नौकरी की आस ।
चल पड़ी रधिया,
एक अफसर के पास ।
लेकिन वाह री किस्मत,
लूट ली गई अस्मत
रधिया मौन थी पर,
ये गरीबी की नय्या है,
खेना ही पड़ता है ।
पैसा नहीं दे सकते,
तो आबरू ही लुटा दो ।
नौकरी के लिए रिश्वत
देना ही पड़ता है ।

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श्री मिथलेश शर्मा 'निसार'
अरजुन्दा, जिला-दुर्ग (छ.ग.)
मो. 9755057245


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सोमवार, 3 अगस्त 2009

पोस्टमार्टम

काव्य संकलन - "बहुत जरूरी है "

-

पोस्टमार्टम
-

तुम पूछते हो- क्यों भाई,
आप कविता लिखते हैं,
भला समाज में कुछ,
दिखाई देता है परिवर्तन ?
क्या जवाब दूँ,
सड़ी हुई लाशों का,
करता हूं पोस्टमार्टम ।
और तुम पूछते हो,
भाई ये मुर्दा,
ठीक हो जायेगा ना ?....


-------------------------------------श्री मिथलेश शर्मा'निसार'
अरजुन्दा, जिला-दुर्ग (छ.ग.)
मो. 9755057245

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सोमवार, 27 जुलाई 2009

काव्य संकलन - एक आकाश छोटा सा - श्री बी.एल.पाल (SDOP)

काव्य संकलन - एक आकाश छोटा सा


..:: 2 . तस्वीर का यह रूप ::..


चार नंगे दो भूखे
शेर के बाल नोच रहे थे,
चूहे सारा अनाज खा गये,
कपड़ो को दीमक खा गई,
जीने का हक गिरवी रखकर,
चार नंगे............

कान में ऊंगली रखे,
आंख में पट्टी बांध,
कोल्हू के बैल जैसे,
चार नंगे ............

चेहरे पर वेदना ही वेदना के
चिन्ह थे,
असंख्य तार टूटे हुए,
वीणा में धुन कहां,
चार नंगे ............

जिंदगी इतनी जलील हुई,
पीठ का बोझ और,
पीठ पर ही रह गया,
पेट की ज्वाला पर,
राख जम गई ,

चार नंगे..........
चार कदम दायें,
और चार कदम बांयें.
टूटी फूटी झोपड़ियों में,
हड्डियों के ढांचे थे,

चार नंगे ............
गांव के शीलन भरे घरों में,
जिंदा आंखो वाली दीवार है,
गांव है कि देश है,
चार नंगे ............

जलता सत्य,नंगा सत्य
नंगी आंखो से ,
नंगी तस्वीर है
चार नंगे ............


-------------------------------------------------------------श्री बी.एल.पाल (SDOP)
मो. 9425568322
MIG-562/न्यू बोरसी दुर्ग (छ.ग.)

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काव्य संकलन - एक आकाश छोटा सा - श्री बी.एल.पाल (SDOP)


काव्य संकलन - एक आकाश छोटा सा

..:: 1. औरत श्रेष्ठ है ::..

औरत श्रेष्ठ है,
क्योंकि वह मां है,
औरत प्रकृति है,
क्योंकि वह कोमल है,
औरत एक गीत है,
क्योंकि वह एक प्यार है,
औरत एक देवी है,
क्योंकि उसमें त्याग है ,
औरत श्रद्धा है,
क्योंकि उसमें विश्वास है,
औरत एक पूजा है,
क्योंकि वह निश्चछल है,
औरत एक क्रांति है,
क्योंकि वह सम्पूर्ण है,
औरत एक त्यौहार है,
क्योंकि उसमें उमंग है,
औरत एक बीज है,
क्योंकि उसमें प्रेरणा है,
औरत श्रेष्ठ है,
सर्वश्रेष्ठ है,
सम्पूर्ण विश्व में,
क्योंकि वह मां है ।


- ------------------------------------------------------श्री बी.एल.पाल (SDOP)
Mo. 9425568322
MIG-562/न्यू बोरसी दुर्ग (छ.ग.)

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शनिवार, 25 जुलाई 2009

.. ऊँच-नीच के भेद भाव ..

आप मनला मे बताथों
ये सुराज के बाद के बात ये,
कोन्हों काहत हे अरे चुप रहा,
हमर ऊँचा जात हे,
ऊँच-नीच अउ जात-पात के,
झगरा बहुत पुराना हे,
ऊँच-नीच के भेद मिटाके,
गांव में अलख जगाना हे,
हिन्दू,मुस्लिम,सिख,ईसाई,
ये भूंइया के लाल ये,
जात-पात ला छोड़ दो भइया,
ये तो जी के काल ये,
छोटे-बड़े के भेद भुलाके,
सबला देखो समान हे,
जे भूंइया के सेवा करही,
उही सबले महान हे ।।


- कुंवर सिंह निषाद, अरजुन्दा मो.9977861910

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गुरुवार, 23 जुलाई 2009

आओ स्वागत करें..... नये काव्य सृजनकर्ताओं का.......

पिछले कुछ दिनों से मैं प्रयासरत था कि हमारे बीच में रहने वाले उन महान काव्य सृजनकर्ताओं का मुझे सहयोग मिल जाये जिनके काव्य संकलन बहुत बड़ा होने के बावजूद उनका आज तक हम आनंद नहीं ले पाये । आज मेरा वो प्रयास सफल रहा मुझे ऐसे तीन महान काव्य सृतजनकर्ता श्री बी.एल.पाल साहब (SDOP) जी ,श्री कुंवर सिंह निषाद जी (प्रसिद्ध लोक कलाकार एवं छालीबुड अभिनेता) एवं श्री मिथलेश शर्मा जी ( शिक्षक एवं अंचल के प्रसिध्द कवि) मिल ही गया जिनका मुझे काव्य संकलन प्राप्त हो पाया है । जिसे आप सबके बीच कडियों के रूप में प्रस्तुत करना है ।
इसी कड़ी में प्रसिद्ध लोक कलाकार एवं लोकरंग अरजुन्दा के निर्देशक श्री दीपक चन्द्राकर जी एवं श्री चन्द्रकुमार चन्द्राकर (छत्तीसगढ़ी शब्दकोश, मुहावरा एवं लोकोक्तियाँ के रचनाकार ) का भी सहयोग मिलना है जिसे मैं आपके समझ कडियों के रूप में प्रस्तुत करूंगा । तो इंतजार करें ...........और मजा ले उन कविताओं का, उनकी भावनाओं का,उनकी अनमोल रचनाओं का ..................

------------------------------------------------------------------------------- सुभाष गजेन्द्र Mo. 9893456232

शुक्रवार, 10 जुलाई 2009

छत्तीसगढ़ के एक कदम......छत्तीसगढ़ी आपरेटिंग सिस्टम


आज सबेरे-सबेरे ले नहात-नहात गली मा लोगन के भाखा मिलत रिहिस -चल गा अब हमर छत्तीसगढ़ी मा कम्पूटर सीखे बर मिलही । मेंहा अचरज मा पड़ गेवं का बात होगे भई आज गली-खोर मा काबर अइसन गोठ हावथे , जा के देखे जाए तभे ये बात के पता चलहि । नहा के ऊंकर तीर मा महूं हा जाके देखेवं त पता चलिस पेपर मा खबर छपे हावय - छत्तीसगढी भी समझेगा कम्प्यूटर । जेमा बताये गे रिहिस हे कि अब कम्पूटर सीखे बर अंगरेजी नई सीखे बर पड़े । कम्पूटर हा छत्तीसगढ़ी मा काम करही जेकर ले अब कम-पढे़ लिखे मइनखे मन घलोक येला सीखहि अऊ ऊंकर काम सरलगहा हो जाही .

चिठ्ठासंसार ले जुड़े हमर भाई मन बर ये खबर पुराना हे, ऊमन तो पहिली च ले ये बात ला जानत हे कि हमर रवि भैय्या अइसन ढ़ंग ले एक ठन आपरेटिंग सिस्टम बनात हे । फेर हमर गांव मा रहवइय्या मइनखे मन ला पता नई रिहिस। मेन लाईन ला देखंव त महू ला पक्का मालूम पड़ गे रिहिस, ये तो हमर रवि रतलामी भैय्या के खबर आय । जेहा दू साल ले अपन मेहनत ले अतिक बडे काम करत रहिस । अऊ आज ओकर ये पूरा काम होके रिहिस .धनभाग हे छत्तीसगढ़, जिहाँ के सपूत हा अइसन काज करिस अऊ छत्तीसगढ़ ला एक कदम अऊ रेंगइस .


(साभार- नई दुनिया दैनिक समाचार पत्र)

शनिवार, 4 जुलाई 2009

भारतीय संस्कृति पर कुठाराघात-समलैंगिकता कानून

पिछले दिनों दिल्ली उच्च न्यायालय ने दो पुरूषों के आपसी रजामंदी से शारीरिक संबंध बनाने से भारतीय कानून की धारा 377 को अवैध ठहराते हुए कहा है कि - समलैंगिकता अपराध नहीं है। यह फैसला हमारी भारतीय संस्कृति के बिल्कुल विपरीत है भारतीय समाज इसे कभी स्वीकार नहीं कर सकता,विश्व के सभी धर्म इस तरह के संबंध को कभी उचित नहीं ठहराया है । इस तरह के संबंध से हमारा समाज,हमारी संस्कृति बिल्कुल ही तबाह हो जाएगा । पश्चिमी देशों की नकल करते-करते हमारे देश की न्याय पालिका भी इसका शिकार हो गया है और अपने ही देश के कानून को अवैध ठहराया जा रहा है । समलैंगिकता एक तरह से अमानवीय कृत्य है, साथ-ही-साथ एक तरह से गंभीर मानसिक रोग भी । इस कानून के बन जाने से सामाजिक स्तर पर इस का बहुत ही गंभीर दुष्प्रभाव पड़ेगा युवाओं के साथ-साथ बच्चों में भी यह मानसिक रोग बहुत जल्द ही पनपने लगेगा . बच्चे अपने माँ-बाप से ही पूछेंगे ये समलैंगिकता क्या होता है ? तब मां-बाप क्या कह सकेंगे अपने बच्चों से ?

हमारा आजाद भारत वास्तव में अभी गुलामी की जिंदगी काट रहा है विदेशी संस्कृति को जिस तरह से हमारे देश में अपनाया जा रहा है उससे तो यही लगता है । इस तरह के कानून को विश्व में गिनती के कुछ देशों में ही मान्यता प्राप्त है जिसके आधार पर हमारी न्यायपालिका इसे कानूनी जामा पहना रही है । आज इसे कानून बनाया जाएगा तो कल वेश्यावृत्ति को क्योंकि वेश्यावृत्ति को तो पश्चिमी देशों में मान्यता प्राप्त है । किसी की स्वतंत्रता के नाम पर इस तरह के संबंध को जायज ठहराना हमारी संस्कृति कभी उचित नहीं मान सकती । हमारे देश में विवाह जैसे पवित्र रिश्ते मौजूद है बावजूद इसके इस तरह के कानून को मान्यता देना समझ से परे है ऐसे कानून से हमारा समाज जबर्दस्त विकृति की ओर अग्रसर हो जाएगा ।

बुधवार, 24 जून 2009

किसान के बिश्वास ल नई तोड़िस भगवान जगन्नाथ .......

आषाढ़ के महीना मा जेठ-बैसाख के गरमी तान दिस । गरमी देख के सब्बो मइनसे मन थोथना ला ओरमा दे रहिस, थोथना ओरमाये के कारण वाजिब हे । भरे आषाढ़ मा किसान हा नांगर-बख्खर धर के खेत जोते ला जाये ला छोड़ के घरे मा सुस्तात रहिन । खेती किसानी के जम्मो तैयारी ल कर डारिस फेर एके ठन बात मन मा घर करत रहिस । ऐसो पानी गिरही ते नई गिरही भगवान,फेर मन मा एक ठन आस घलो रहिस भगवान के घर मा देर हे पर अंधेर नई हे . इही दिन आषाढ़ मा भगवान जगन्नाथ के रथयात्रा घलो होथे . आदि काल ले एक ठन बात हर किसान हा जानत हे आज के दिन पानी जरूर बरस थे , भगवान जगन्नाथ हा पानी जरूर बरसाही अऊ नही ते दू बूंद गिराही फेर सुख्खा नई पारे. आज के दिन किसान मन के विश्वास अऊ भगवान के भक्ति ले ये जरूर पूरा होथे,अऊ खुशी-खुशी अपन किसानी बूता के शुरूवात करथे .

ये साल के गरमी तनई ला देख केकिसान फिकर करत रहिस पानी गिरही त नई गिरही इंकर चिंता फिकर ला मौसम के जानकार हमर वैज्ञानिक मन अऊ बढात रहिस कभू काहत हे मानसून आगे त कभू काहत हे मानसून भटक गे . चिंता फिकर करत किसान अनमनहा ढंग ले किसानी बूता करते रहिन फेर रथयात्रा के विश्वास ला घलो धरे रहिस . आज वो दिन आगे रथयात्रा के, भगवान जगन्नाथ,बलभद्र अऊ सुभद्रा के सवारी के, संझा ढले के बेरा मा अपन परताप ले अऊ किसान के विश्वास ले गली बोहऊ पानी बरसा दिस अऊ भगवान जगन्नाथ हा इंकर विश्वास ला नई तोड़िस ... कारण चाहे कोनो हो पानी बरस गे अऊ इंकर बिश्वास मा एक ठन गांठ अऊ बंधागे ....।

शुक्रवार, 19 जून 2009

छत्तीसगढ़ ला बचाय बर अऊ बनाय बर....

दू-चार दिन पहिली हमर भैय्या रीतेश देवांगन जी के ब्लाग देखे बर मिलिस . ब्लाग मा हमर भैय्या हा बने बात ला बताए हावे . वाकई में हमर छत्तीसगढ़ राज ला बचाये अऊ बनाए बर इही सब जतन ला हमन ला करे बर परही . ये जतन ला बनाये के पूरा के पूरा श्रेय हमर छत्तीसगढिया भैय्या केशव साहू ला हावे । ये जतन ला आप मन ला बताये बर एक बार फेर मोर ब्लाग मा परकाशित करत हावंव ......

छत्तीसगढ़ ला बचाय बर अऊ बनाय बर....

  • मितान परंपरा -
गंगा जल,महापरसाद,भोजली,जंवारा,गंगा बारू,तुलसीजल,नरियर फूल असन मितान अऊ फूल-फुलवारी बध के अपय मया के बंधना ला पोठ करे जाय ।

  • गउ अउ धरती महतारी के सेवा -
दूध,दहि,घी,गोबर अउ गोमूत्र जइसे दिब्य दवई के संगे-संग किसान के संगवारी बइला देवइय्या गउ माता अउ हमर जिनगी के सिरजइय्या धरती महतारी के जी जान ले सेवा करे जाय । ऋषि-कृषि ल बढ़ाया दिये जाय ।

  • सियान मन के आसीस -
सियान मनखे मन करा अनुभव अउ ज्ञान के अथाह भंडार रथे । ऊँच-नीच,सुख-दुख,अउ दुनियादारी सबला देखे सुने अउ सहे हे वोमन । ऊँखर छाइत अउ आर्शीवाद हमर ताकत ए ।
वोला बिसराना नइहे ।

  • खेती बँटवारा उचित नइहे -
खेती के बँटवारा नइ करके उपज ल बांटे म जादा भलई हे ।
  • पुरखउती खेल अउ लोक साहित्य के चलन -
हमर पुरखउती खेल कबड्डी,गोंटा,खो-खो,फुगड़ी,सुरगोड़ा के संग-संग लोक साहित्य
कहानी,कंथली, हाना-बाना,जनउला,लोकगीत ल जादा ले जादा चलन म लाये बर परही ।

  • नसा के नास अउ सापर भाव के आस -
बिनास के जर नसा अउ जुआ-चित्ती ले दुरिहा रहना जरूरी हे । सहकार-सापर के भावना ल पनपा के साहूकार मन के चंगुल ले बचे बर परही ।

शनिवार, 13 जून 2009

शिक्षाकर्मी भर्ती प्रक्रिया - कितना सही....?

पिछले साल बड़े पैमाने पर हुई शिक्षाकर्मी भर्ती में राज्य सरकार ने बहुत ही घटिया तरीके से भर्ती प्रक्रिया को अंजाम दिया .राज्य शासन छत्तीसगढ़ में शिक्षा के स्तर को गिराने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रही है . एक तरफ शिक्षाकर्मी परीक्षा में उच्च अंक पाये अभ्यर्थी बेरोजगार बैठ गये तो दूसरी तरफ कम अंक प्राप्त अभ्यर्थी शासन की उस नीति से गंगा नहा लिये. इस नीति से अभ्यर्थी को किस्मत का भी बहुत ही फायदा हुआ . बेचारे बेरोजगार अपने उच्च शिक्षा एवं अधिक योग्यता के चक्कर और अधिक पोष्ट के लालच में अपने ब्लाक को छोड़कर दूसरे ब्लाकों में फार्म जमा कर दिये नतीजा ये हुआ कि खुद के ब्लाक में भर्ती हेतु अभ्यर्थी कम पड़ गये बल्कि उन लोगों को फायदा हो गया जो खाली बैठे जैसे-तैसे अपनी आजीविका चला रहे थे और ये सोचकर अपने ब्लाक में जमा कर दिये कि अगर हमारा चयन हो जाए तो ठीक नहीं तो हमें तो जो करना है वो कर ही रहे है . उनके लिए तो उनका भविष्य बन गया लेकिन ऐसे लोगों के चयन से शिक्षा का स्तर क्या नहीं गिरेगा ? चयन परीक्षा में कम अंक पाने के बावजूद उनका चयन हो गया जबकि अधिक अंक पाने वाले उम्मीदवार बेरोजगार हो गये क्या ये भर्ती प्रकिया सही था ? शिक्षाकर्मी भर्ती प्रक्रिया पूरे राज्य स्तर पर आयोजित किया जाना था न कि ब्लाक स्तर पर जैसा कि वर्तमान में आयोजित महिला बाल विकास पर्यवेक्षक के लिए परीक्षा आयोजित किया गया था । शिक्षाकर्मी भर्ती प्रक्रिया के दौरान सभी ब्लाकों में रिक्त पदों को दर्शाया गया था जिसमें कहीं कम तो कहीं ज्यादा, पद के लालच में अधिक पदों वाले ब्लाकों में उम्मीदवारों ने फार्म जमा कर दिये . नतीजा ये हुआ वहाँ के चयन का स्तर उच्च हो गया जबकि कई जगह उसी पद के चयन के लिए अभ्यर्थी नहीं मिल रहें है । वर्तमान में सरकार नये सेटअप के नाम पर उन्ही पुराने भर्ती प्रक्रिया को ही पुनः ही अपना रहा है जिससे शिक्षा का स्तर और गिरने की संभावना है । वोट बैंक के रूप में राज्य सरकार इस शिक्षा कर्मी भर्ती प्रक्रिया से छत्तीसगढ़ के शिक्षा स्तर को न जाने किस हद तक ले जायेगा ।
राम जाने ..........?

रविवार, 7 जून 2009

.....बताओ मैं क्या हूं ?



आज रात पैरावट में लगी आग का एक दृश्य । जो देखने में किसी शैतान के मुंह जैसा ही था । इस आग की वजह से हमें आज रात बगैर बिजली के ही काटना पड़ा.क्योंकि आग की बजह से बिजली के तार गल के टूट गये थे ।

शुक्रवार, 5 जून 2009

का होही हमर छत्तीसगढ़ के ....?




दू दिन होगे हमर जतका भी संदेश देवइय्या ठिकाना अखबार होय ते रेडिया अऊ नही ते टीबी सब्बो मा एके ठन खबर हा छा गेहे फलाना जगा गोली मिलिस त फलाना जगा मा बारूद । का हमर छत्तीसगढ़ के इही चिन्हारी हरे, का इंकरे मन हे हमर छत्तीसगढ़ के चिन्हारी होही ? 

दू दिन पहिली के बात हे दुरूग राज के दादर-पथर्रा गौंव के मशानघाट करके कुआं मा अड़बड़ अकन बंदूक के गोली मिलिस हावे । कोनों ल एस.एल.आर.,कोनो ल रिवाल्वर कहात हावे त कोनों ल देशी कट्टा के । आनी बानी के तमंचा (पिस्तौल) के गोली मिलिस हाबै । भगवान जाने ये काकर आय, पुलिस मन येला नक्सली मन के हरे कहाथ हाबय । जांच पड़ताल हा अभी पूरा नई होहे फेर अनुमान इही हे ऊंकरे च मन के होही । ये बात ह पूरा नई होय पर पइस आजे के अखबार म अऊ खबर छपगे गंगरेल बांध मेर एक ठन गाड़ी पकड़ा गे । अइसन गाड़ी जेमा 20 ठन संदूक मा बारूद भराय रहिस । अतिक अकन बारूद मिले के मतलब का होईस । ये बात होइस पकड़ा गे तब फेर कोन जाने अऊ कतका असन गाड़ी हा बोचक गे होही । कोन जाने अऊ कतिक ठन कुंआ, डबरा अऊ तरिया मा ये गोली, बारूद ल लुका दे होही ?
एक समय रिहिस जेमा हमर छत्तीसगढ़ ला धान के कटोरा कहे जात रहिस। हमर एक अलगे चिन्हारी रहिस । फेर कोन जाने ये दू-चार साल में काकर नजर लग गे ये छत्तीसगढ़ महतारी ला । रात दिन इंकरे मन के खबर हा छा गेहे । का ये नक्सली हमर छत्तीसगढ़ ला होरा कस भूंज दे बर चाहत हे ? का इंकरे मन ले हमर छत्तीसगढ़ के चिन्हारी होही ? का होही हमर छत्तीसगढ़ राज के .....?

बुधवार, 3 जून 2009

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री उम्मेद सिंह कलिहारी


श्री उम्मेद सिंह कलिहारी दुर्ग जिले के उन गिने-चुने लोंगो में से एक है जिन्हे 1930 के कांग्रेस अधिवेशन में भाग लेने का मौका मिला था । गाँधी जी के व्यक्तित्व से अभिभूत श्री कलिहारी अक्सर कहा करते थे कि मैंने अपने संघर्ष पूर्ण जीवन में भूदान,ग्राम दान तथा ग्राम स्वराज आन्दोलन में भाग लेकर संगम स्नान कर लिया । महात्मा गाँधी के पहली बार के दुर्ग आगमन पर उनसे मुलाकात को वे कभी नही भूले । 

श्री उम्मेद सिंह कलिहारी का जन्म सन् 1905 को ग्राम भरदकला में हुआ । ग्राम अर्जुन्दा में छटवीं कक्षा तक की शिक्षा प्राप्त करने के प्रश्चात अर्जुन्दा में ही सहायक शिक्षक के रूप में उनकी नियुक्ति हुई । शिक्षक के रूप में कार्य करते हुए महात्मा गाँधी के विचारों से प्रभावित हुए एवं देश प्रेम की भावना लिये आजादी के आन्दोलन में कूद पड़े और लोगों के बीच आजादी के महत्व को बताना शुरू किये । 1942 में महात्मा गांधी के करो या मरो के नारे को बुलंद करते हुए आजादी की लड़ाई में कूद पड़े । आन्दोलन अपने चरम सीमा पर था तभी श्री कलिहारी को पुलिस ने गिरफ्तार कर रायपुर सेन्ट्रल जेल भेज दिया 9 माह की लंबी सजा अगस्त 1943 तक चली  । जेल से रिहा होकर पुनः स्वतंत्रता आन्दोलन को गति प्रदान करते रहे । क्षेत्र के लोंगो को भी कलिहारी द्वारा प्रचारित आजादी की बातें समझ आने लगी इस तरह से श्री कलिहारी शिक्षकीय जीवन छोड़कर देश की आजादी के लिए अर्जुन्दा सहित दुर्ग जिले भर में कार्य करते रहे और आजादी को प्राप्त किये । 

देश की स्वतंत्रता के पश्चात देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा दिये गये आदेश के तहत श्री उम्मेद सिंह कलिहारी की पुर्ननियुक्ति अर्जुन्दा के स्कूल में ही हुई एवं आजादी के बाद दुर्ग जिला शिक्षक संघ के अध्यक्ष का दायित्व भी पूरा किया एवं कई महत्वपूर्ण समस्याओं का समाधान भी कराये । सन् 1955 में श्री कलिहारी संत विनोबा भावे के साथ जुड़ गये एवं उनके प्रसिद्ध भूदान आन्दोलन में सक्रियता के साथ जुड़कर विनोबा जी के हीरक जयन्ती के अवसर पर श्री कलिहारी द्वारा दुर्ग जिले के पचास हजार के लक्ष्य में सैतालिस हजार रूपये संग्रहित कर विनोबा भावे जी को भेंट किये । श्री कलिहारी हमेशा संयमित जीवन जीते रहे इनके द्वारा महात्मा गांधी के जन्म शताब्दी वर्ष की पुण्यतिथि के अवसर पर संकल्प लिये की आज से मशीन से पीसा हुआ आटा, मशीन का चावल एवं शक्कर ग्रहण नहीं करना जिसका पालन वे जीवन पर्यन्त करते रहे । वे गांधी जी से अत्यंत ही प्रभावित रहे जिसके फलस्वरूप अपने शिक्षकीय जीवन में ही उन्होनें चरखे से सूत कातना शुरू कर दिये थे । गांधी टोपी तो वे विद्यार्थी जीवन से ही पहनते थे । 
क्षेत्र के एकमात्र स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री उम्मेद सिंह कलिहारी का देहावसान 28 अगस्त 1994 को हुआ । उनके द्वारा आजादी के पूर्व एवं आजादी के बाद देश एवं समाज के लिये किये गये सेवा कार्य को पुण्य स्मरण करते हुए सादर प्रणाम .......। 

साभारः श्री क्रांतिभूषण साहू (प्रपौत्र श्री उम्मेद सिंह कलिहारी) सरपंच,ग्राम पंचायत भरदाकला से प्राप्त जानकारी के आधार पर 

रविवार, 31 मई 2009

उस नवजात का क्या कसूर....

आज सुबह-सुबह मैं स्थानीय समाचार पत्र पढ़ रहा था । समाचार पत्र के मुख पृष्ठ पर छपी एक खबर को पढ़कर बहुत दुःख हुआ क्योंकि खबर ही ऐसी थी दिल दहला देने वाली । घटना का विवरण कुछ इस प्रकार था - 
पत्नी से झगड़ने और मारपीट के बाद गुस्साये एक युवक ने अपने नवजात शिशु पर मिट्टी तेल डालकर जलाने का प्रयास किया । उस नवजात शिशु को इस धरती पर आये मात्र 22 दिन ही हुये थे । उक्त शिशु को जिला अस्पताल में दाखिल कराया गया है जहां उसकी स्थिति गंभीर बताई गई है । दिल दहला देने वाली यह घटना बालोद के जवाहर पारा-खाल्हेपारा में शनिवार को हुई । 

जवाहर पारा-खाल्हेपारा झोपड़पट्टी में रहने वाले नईम कुरैशी जिसकी उम्र 28 वर्ष का अपनी पत्नी गायत्री उर्फ परवीन उम्र 27 वर्ष के साथ अक्कर लड़ाई-झगड़ा होता था । दोनों ने प्रेम विवाह किया था । घटना के दिन भी नईम और गायत्री के बीच जमकर विवाद हुआ था । नईम ने गाली-गलौच के साथ अपनी पत्नी की पिटाई करने के बाद गुस्से से खाट में सो रहे अपने नवजात शिशु पर मिट्टी तेल डालकर माचिस मारकर जलाने का प्रयास किया । गायत्री की चीख व मारपीट की आवाज सुनकर पंहुचे पड़ोसी खिलावन कुमार ने किसी तरह मासूम बच्चे को आग से हटाकर स्थानीय अस्पताल ले गया । बच्चे की स्थिति को देखते हुए डाक्टर ने फौरन ही जिला अस्पताल के लिए रिफर कर दिया । मोहल्ले के लोगों के अनुसार इस दंपत्ति के दो और संतान सुहाना और शाहीन है जिसकी उम्र क्रमशः 5 वर्ष एवं 4 वर्ष है ।

गुरुवार, 28 मई 2009

पप्पू पास हो गया...


इन दिनों विभिन्न परीक्षाओं के नतीजे इन्टरनेट पर उपलब्ध है चाहे वो बोर्ड परीक्षाओं में कक्षा पांचवीं,आठवीं का हो या दसवीं,बारहवीं का या फिर विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं का । अपनी बर्षों की मेहनत को कम्प्यूटर के स्क्रीन पर देखकर कोई मायूस हो जाता है या फिर कोई चहक उठता है और उनके मुख से सहसा यह निकल ही जाता है - पप्पू पास हो गया ...

आज कल इन्टरनेट पर रिजल्ट का असर इतना जबरदस्त हो गया है कि लोग सुबह से ही दुकान के सामने खड़े रहते हैं कोई बच्चा अपनी रिजल्ट जानने आया तो कोई पालक अपने बच्चों का । खैर अपने कर्मों का फल जानने की इच्छा तो सबको होती है ।रिजल्ट जानने की इस उत्सुकता से हमें भी अच्छा रोजगार मिल गया । उस दिन शाम को करीब सात बजे एक महिला मेरे दुकान पर अपनी पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाली  बच्ची का रोलनंबर लेकर आयी और बोली की बच्ची घर में रो रही है जरा इनका नंबर देख के रिजल्ट बता दें , मैंने रोलनंबर टाइप किया और रिजल्ट सामने देखकर उसकी मम्मी बहुत खुश हुई और क्यों न हो बच्ची जो अच्छे नंबरों से पास हो गई थी करीब 93 फीसदी अंक पाई थी वो । दूसरे दिन तीन लड़कियाँ आठवीं कक्षा की रोलनंबर लेकर आई तीनों ने बारी-बारी से अपना रिजल्ट जाना...रिजल्ट पता चल जाने पर तीनों मुझे देखने लगी । मैने पूछा क्या हुआ - उनका जवाब था उनके पास मुझे देने रूपया नहीं था वो तो यूं ही आ गये थे । मैने कोई बात नहीं कहके उनको जाने दे दिया । आज ही नेट पर दसवीं का रिजल्ट आया सुबह से लोग पूछ-पूछ कर जा रहे थे मैं भी इसके लिए तैयार था मुझे भी अपने एक भांजा औऱ एक भतीजे का रिजल्ट देखना था लगभग 11 बजे रिजल्ट आ गया । रिजल्ट आते ही मैने पहला रिजल्ट भांजे का और दूसरा भतीजे का देखा भांजे ने 81 फीसदी औऱ भतीजे ने 84 फीसदी अंको के साथ परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कर लिया था मैंने उन दोनों को ही मोबाइल पर सूचना दिया और मिठाई खिलाने को कहा । तीसरे ही क्रम में मैंने एक लड़की का रिजल्ट निकाला वो भी 79.8......फीसदी अंक पाई थी । रिजल्ट देखते ही उसका भाई जो उसके साथ था ने कहा-अरे हमारा तो दस हजार का चूना लग गया वो भी मात्र एक नंबर से । मैं उनके उस बात से चौंका और पूछा कि वो कैसे , जवाब में उन्होने बताया कि शासन द्वारा अनुसूचित जाति के बच्चों को 80 फीसदी अंक पाने पर दस हजार रूपये देती है । 

मैंने कई-कई लड़कों को छात्र जीवन में ही अपने प्रेमिकाओं के जाल में जकड़े पाया । किसी ने अपने अंको को देखकर कहा-ये उन्ही (उनकी प्रेमिका) के कारण इतने कम मार्कस आये हैं तो किसी ने कहा ये कहा - इतने अच्छे मार्कस उन्ही के कारण आये हैं । इन प्रेम बंधन के चक्रव्यूह में लड़कियाँ भी कहीं कम नजर नहीं आये - इन लोगों ने अपने रोलनंबर अपने प्रेमी को दे रखे थे । वे बकायदा रिजल्ट देखकर अपने प्रेमिकाओं को इसका बधाई भी दे रहे थे । खैर ये तो जीवन की उन तमाम क्षणों में से एक वाकया है जो हर किसी ने किसी की जिंदगी में आती है चाहे उसका स्वरूप कैसा भी हो ।

एक अनुरोध पाठकों सेः इस तरह का यह मेरा पहला लेख है अगर कहीं पर कोई भी गलतियाँ नजर आये तो सुधार कर पाठन करें एवं मुझे सूचित करें । धन्यवाद.

रविवार, 24 मई 2009

शनिदेव जयन्ती के अवसर पर- शनिदेव जी की आरती


जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ।
सुरज के पुत्र प्रभु छाया महतरी ॥
जय जय श्री शनिदेव .....॥ 
श्याम अंक वक्र द्र्ष्ट चतुर्भुजाधारी ।
नीलाम्बार धार नाथ गज की सवारी॥
जय जय श्री शनिदेव .....॥
क्रिट मुकुट शीश रजीत दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी।
जय जय श्री शनिदेव .....॥
मोदक मिष्ठान पान चढत है सुपारी।
लोहा तिल तेल उडद महिषी अति प्यारी ॥
जय जय श्री शनिदेव .....॥
देव दनुज ॠषि मुनि सुमिरत नर-नारी ।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण है तुम्हारी॥
जय जय श्री शनिदेव .....॥

रविवार, 3 मई 2009

आरती क्रम - श्री गनेश जी कि आरती


जय गनेश , जय गनेश , जय गनेश देवा ।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥
जय गनेश , जय गनेश , जय गनेश देवा ।
एक दन्त दवावन्त , चार भुजा धारी ।
माथै सिन्दुर सोहै ,मुसै की सवारी ॥
जय गनेश , जय गनेश .....
अन्धन को आँख देत , कोढिन को काया ।
बान्झन् को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गनेश , जय गनेश.......
पान चढे फूल चढे और चढे मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे , सन्त करें सेवा ॥
जय गनेश , जय गनेश.......
जय गनेश , जय गनेश, जय गनेश देवा ।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥

दुनिया में कहां-कहां...


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