रविवार, 24 मई 2009

शनिदेव जयन्ती के अवसर पर- शनिदेव जी की आरती


जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ।
सुरज के पुत्र प्रभु छाया महतरी ॥
जय जय श्री शनिदेव .....॥ 
श्याम अंक वक्र द्र्ष्ट चतुर्भुजाधारी ।
नीलाम्बार धार नाथ गज की सवारी॥
जय जय श्री शनिदेव .....॥
क्रिट मुकुट शीश रजीत दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी।
जय जय श्री शनिदेव .....॥
मोदक मिष्ठान पान चढत है सुपारी।
लोहा तिल तेल उडद महिषी अति प्यारी ॥
जय जय श्री शनिदेव .....॥
देव दनुज ॠषि मुनि सुमिरत नर-नारी ।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण है तुम्हारी॥
जय जय श्री शनिदेव .....॥

7 टिप्‍पणियां:

  1. हिंदी ब्लॉग की दुनिया में आपका स्वागत है...

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  2. स्वागत है
    लिखते रहे
    मेरे ब्लोग पर स्वागत है

    जवाब देंहटाएं
  3. शनिदेव को बाहुबल एवं आत्म संयम से ही काबू में किया जा सकता है ,पूजा से नहीं

    जवाब देंहटाएं
  4. जै शनि देव......
    खूब लिखें....अच्छा लिखें

    जवाब देंहटाएं

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