इरखा निंदा में काबर बूड़े रहिगेन जी,
तातारस्सी में काबर करू कहिगेन जी ।
गीता पढ़ेन अउ रामायण पढ़ेन,
तभो ले कुद-कुद के हमन लड़ेन जी,
मनखे हो के निसाचर बने रहिगेन जी ।
सुम्मत के डोरी ला छरिया डरेन ।
अपन मुँहु ला अपनेच करिया डरेन ।
कइसे काखर बहकना में हम बहिगेन जी ।
बिलई-झगरा मा बेंदरा मजा मार दिस ,
हमर पेटे मा भुर्री, दुसर बार दिस ।
कइसे पखरा ला छाती मा,हम सहिगेन जी ।
मौलिक/अप्रकाशित/अप्रसारित
मिथलेश शर्मा'निसार'
(कवि निवास) अरजुन्दा
तातारस्सी में काबर करू कहिगेन जी ।
गीता पढ़ेन अउ रामायण पढ़ेन,
तभो ले कुद-कुद के हमन लड़ेन जी,
मनखे हो के निसाचर बने रहिगेन जी ।
सुम्मत के डोरी ला छरिया डरेन ।
अपन मुँहु ला अपनेच करिया डरेन ।
कइसे काखर बहकना में हम बहिगेन जी ।
बिलई-झगरा मा बेंदरा मजा मार दिस ,
हमर पेटे मा भुर्री, दुसर बार दिस ।
कइसे पखरा ला छाती मा,हम सहिगेन जी ।
मौलिक/अप्रकाशित/अप्रसारित
मिथलेश शर्मा'निसार'
(कवि निवास) अरजुन्दा
जिला-दुर्ग (छ.ग.) 491225
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