शनिवार, 13 जून 2009

शिक्षाकर्मी भर्ती प्रक्रिया - कितना सही....?

पिछले साल बड़े पैमाने पर हुई शिक्षाकर्मी भर्ती में राज्य सरकार ने बहुत ही घटिया तरीके से भर्ती प्रक्रिया को अंजाम दिया .राज्य शासन छत्तीसगढ़ में शिक्षा के स्तर को गिराने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रही है . एक तरफ शिक्षाकर्मी परीक्षा में उच्च अंक पाये अभ्यर्थी बेरोजगार बैठ गये तो दूसरी तरफ कम अंक प्राप्त अभ्यर्थी शासन की उस नीति से गंगा नहा लिये. इस नीति से अभ्यर्थी को किस्मत का भी बहुत ही फायदा हुआ . बेचारे बेरोजगार अपने उच्च शिक्षा एवं अधिक योग्यता के चक्कर और अधिक पोष्ट के लालच में अपने ब्लाक को छोड़कर दूसरे ब्लाकों में फार्म जमा कर दिये नतीजा ये हुआ कि खुद के ब्लाक में भर्ती हेतु अभ्यर्थी कम पड़ गये बल्कि उन लोगों को फायदा हो गया जो खाली बैठे जैसे-तैसे अपनी आजीविका चला रहे थे और ये सोचकर अपने ब्लाक में जमा कर दिये कि अगर हमारा चयन हो जाए तो ठीक नहीं तो हमें तो जो करना है वो कर ही रहे है . उनके लिए तो उनका भविष्य बन गया लेकिन ऐसे लोगों के चयन से शिक्षा का स्तर क्या नहीं गिरेगा ? चयन परीक्षा में कम अंक पाने के बावजूद उनका चयन हो गया जबकि अधिक अंक पाने वाले उम्मीदवार बेरोजगार हो गये क्या ये भर्ती प्रकिया सही था ? शिक्षाकर्मी भर्ती प्रक्रिया पूरे राज्य स्तर पर आयोजित किया जाना था न कि ब्लाक स्तर पर जैसा कि वर्तमान में आयोजित महिला बाल विकास पर्यवेक्षक के लिए परीक्षा आयोजित किया गया था । शिक्षाकर्मी भर्ती प्रक्रिया के दौरान सभी ब्लाकों में रिक्त पदों को दर्शाया गया था जिसमें कहीं कम तो कहीं ज्यादा, पद के लालच में अधिक पदों वाले ब्लाकों में उम्मीदवारों ने फार्म जमा कर दिये . नतीजा ये हुआ वहाँ के चयन का स्तर उच्च हो गया जबकि कई जगह उसी पद के चयन के लिए अभ्यर्थी नहीं मिल रहें है । वर्तमान में सरकार नये सेटअप के नाम पर उन्ही पुराने भर्ती प्रक्रिया को ही पुनः ही अपना रहा है जिससे शिक्षा का स्तर और गिरने की संभावना है । वोट बैंक के रूप में राज्य सरकार इस शिक्षा कर्मी भर्ती प्रक्रिया से छत्तीसगढ़ के शिक्षा स्तर को न जाने किस हद तक ले जायेगा ।
राम जाने ..........?

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