बुधवार, 24 जून 2009

किसान के बिश्वास ल नई तोड़िस भगवान जगन्नाथ .......

आषाढ़ के महीना मा जेठ-बैसाख के गरमी तान दिस । गरमी देख के सब्बो मइनसे मन थोथना ला ओरमा दे रहिस, थोथना ओरमाये के कारण वाजिब हे । भरे आषाढ़ मा किसान हा नांगर-बख्खर धर के खेत जोते ला जाये ला छोड़ के घरे मा सुस्तात रहिन । खेती किसानी के जम्मो तैयारी ल कर डारिस फेर एके ठन बात मन मा घर करत रहिस । ऐसो पानी गिरही ते नई गिरही भगवान,फेर मन मा एक ठन आस घलो रहिस भगवान के घर मा देर हे पर अंधेर नई हे . इही दिन आषाढ़ मा भगवान जगन्नाथ के रथयात्रा घलो होथे . आदि काल ले एक ठन बात हर किसान हा जानत हे आज के दिन पानी जरूर बरस थे , भगवान जगन्नाथ हा पानी जरूर बरसाही अऊ नही ते दू बूंद गिराही फेर सुख्खा नई पारे. आज के दिन किसान मन के विश्वास अऊ भगवान के भक्ति ले ये जरूर पूरा होथे,अऊ खुशी-खुशी अपन किसानी बूता के शुरूवात करथे .

ये साल के गरमी तनई ला देख केकिसान फिकर करत रहिस पानी गिरही त नई गिरही इंकर चिंता फिकर ला मौसम के जानकार हमर वैज्ञानिक मन अऊ बढात रहिस कभू काहत हे मानसून आगे त कभू काहत हे मानसून भटक गे . चिंता फिकर करत किसान अनमनहा ढंग ले किसानी बूता करते रहिन फेर रथयात्रा के विश्वास ला घलो धरे रहिस . आज वो दिन आगे रथयात्रा के, भगवान जगन्नाथ,बलभद्र अऊ सुभद्रा के सवारी के, संझा ढले के बेरा मा अपन परताप ले अऊ किसान के विश्वास ले गली बोहऊ पानी बरसा दिस अऊ भगवान जगन्नाथ हा इंकर विश्वास ला नई तोड़िस ... कारण चाहे कोनो हो पानी बरस गे अऊ इंकर बिश्वास मा एक ठन गांठ अऊ बंधागे ....।

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