गुरुवार, 28 मई 2009

पप्पू पास हो गया...


इन दिनों विभिन्न परीक्षाओं के नतीजे इन्टरनेट पर उपलब्ध है चाहे वो बोर्ड परीक्षाओं में कक्षा पांचवीं,आठवीं का हो या दसवीं,बारहवीं का या फिर विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं का । अपनी बर्षों की मेहनत को कम्प्यूटर के स्क्रीन पर देखकर कोई मायूस हो जाता है या फिर कोई चहक उठता है और उनके मुख से सहसा यह निकल ही जाता है - पप्पू पास हो गया ...

आज कल इन्टरनेट पर रिजल्ट का असर इतना जबरदस्त हो गया है कि लोग सुबह से ही दुकान के सामने खड़े रहते हैं कोई बच्चा अपनी रिजल्ट जानने आया तो कोई पालक अपने बच्चों का । खैर अपने कर्मों का फल जानने की इच्छा तो सबको होती है ।रिजल्ट जानने की इस उत्सुकता से हमें भी अच्छा रोजगार मिल गया । उस दिन शाम को करीब सात बजे एक महिला मेरे दुकान पर अपनी पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाली  बच्ची का रोलनंबर लेकर आयी और बोली की बच्ची घर में रो रही है जरा इनका नंबर देख के रिजल्ट बता दें , मैंने रोलनंबर टाइप किया और रिजल्ट सामने देखकर उसकी मम्मी बहुत खुश हुई और क्यों न हो बच्ची जो अच्छे नंबरों से पास हो गई थी करीब 93 फीसदी अंक पाई थी वो । दूसरे दिन तीन लड़कियाँ आठवीं कक्षा की रोलनंबर लेकर आई तीनों ने बारी-बारी से अपना रिजल्ट जाना...रिजल्ट पता चल जाने पर तीनों मुझे देखने लगी । मैने पूछा क्या हुआ - उनका जवाब था उनके पास मुझे देने रूपया नहीं था वो तो यूं ही आ गये थे । मैने कोई बात नहीं कहके उनको जाने दे दिया । आज ही नेट पर दसवीं का रिजल्ट आया सुबह से लोग पूछ-पूछ कर जा रहे थे मैं भी इसके लिए तैयार था मुझे भी अपने एक भांजा औऱ एक भतीजे का रिजल्ट देखना था लगभग 11 बजे रिजल्ट आ गया । रिजल्ट आते ही मैने पहला रिजल्ट भांजे का और दूसरा भतीजे का देखा भांजे ने 81 फीसदी औऱ भतीजे ने 84 फीसदी अंको के साथ परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कर लिया था मैंने उन दोनों को ही मोबाइल पर सूचना दिया और मिठाई खिलाने को कहा । तीसरे ही क्रम में मैंने एक लड़की का रिजल्ट निकाला वो भी 79.8......फीसदी अंक पाई थी । रिजल्ट देखते ही उसका भाई जो उसके साथ था ने कहा-अरे हमारा तो दस हजार का चूना लग गया वो भी मात्र एक नंबर से । मैं उनके उस बात से चौंका और पूछा कि वो कैसे , जवाब में उन्होने बताया कि शासन द्वारा अनुसूचित जाति के बच्चों को 80 फीसदी अंक पाने पर दस हजार रूपये देती है । 

मैंने कई-कई लड़कों को छात्र जीवन में ही अपने प्रेमिकाओं के जाल में जकड़े पाया । किसी ने अपने अंको को देखकर कहा-ये उन्ही (उनकी प्रेमिका) के कारण इतने कम मार्कस आये हैं तो किसी ने कहा ये कहा - इतने अच्छे मार्कस उन्ही के कारण आये हैं । इन प्रेम बंधन के चक्रव्यूह में लड़कियाँ भी कहीं कम नजर नहीं आये - इन लोगों ने अपने रोलनंबर अपने प्रेमी को दे रखे थे । वे बकायदा रिजल्ट देखकर अपने प्रेमिकाओं को इसका बधाई भी दे रहे थे । खैर ये तो जीवन की उन तमाम क्षणों में से एक वाकया है जो हर किसी ने किसी की जिंदगी में आती है चाहे उसका स्वरूप कैसा भी हो ।

एक अनुरोध पाठकों सेः इस तरह का यह मेरा पहला लेख है अगर कहीं पर कोई भी गलतियाँ नजर आये तो सुधार कर पाठन करें एवं मुझे सूचित करें । धन्यवाद.

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