सोमवार, 27 जुलाई 2009

काव्य संकलन - एक आकाश छोटा सा - श्री बी.एल.पाल (SDOP)

काव्य संकलन - एक आकाश छोटा सा


..:: 2 . तस्वीर का यह रूप ::..


चार नंगे दो भूखे
शेर के बाल नोच रहे थे,
चूहे सारा अनाज खा गये,
कपड़ो को दीमक खा गई,
जीने का हक गिरवी रखकर,
चार नंगे............

कान में ऊंगली रखे,
आंख में पट्टी बांध,
कोल्हू के बैल जैसे,
चार नंगे ............

चेहरे पर वेदना ही वेदना के
चिन्ह थे,
असंख्य तार टूटे हुए,
वीणा में धुन कहां,
चार नंगे ............

जिंदगी इतनी जलील हुई,
पीठ का बोझ और,
पीठ पर ही रह गया,
पेट की ज्वाला पर,
राख जम गई ,

चार नंगे..........
चार कदम दायें,
और चार कदम बांयें.
टूटी फूटी झोपड़ियों में,
हड्डियों के ढांचे थे,

चार नंगे ............
गांव के शीलन भरे घरों में,
जिंदा आंखो वाली दीवार है,
गांव है कि देश है,
चार नंगे ............

जलता सत्य,नंगा सत्य
नंगी आंखो से ,
नंगी तस्वीर है
चार नंगे ............


-------------------------------------------------------------श्री बी.एल.पाल (SDOP)
मो. 9425568322
MIG-562/न्यू बोरसी दुर्ग (छ.ग.)

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2 टिप्‍पणियां:

  1. जलता सत्य,नंगा सत्य
    नंगी आंखो से ,
    नंगी तस्वीर है

    बहुत सुन्‍दर पंक्तियॉं. आभार पाल साहब का.

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