शुक्रवार, 19 जून 2009

छत्तीसगढ़ ला बचाय बर अऊ बनाय बर....

दू-चार दिन पहिली हमर भैय्या रीतेश देवांगन जी के ब्लाग देखे बर मिलिस . ब्लाग मा हमर भैय्या हा बने बात ला बताए हावे . वाकई में हमर छत्तीसगढ़ राज ला बचाये अऊ बनाए बर इही सब जतन ला हमन ला करे बर परही . ये जतन ला बनाये के पूरा के पूरा श्रेय हमर छत्तीसगढिया भैय्या केशव साहू ला हावे । ये जतन ला आप मन ला बताये बर एक बार फेर मोर ब्लाग मा परकाशित करत हावंव ......

छत्तीसगढ़ ला बचाय बर अऊ बनाय बर....

  • मितान परंपरा -
गंगा जल,महापरसाद,भोजली,जंवारा,गंगा बारू,तुलसीजल,नरियर फूल असन मितान अऊ फूल-फुलवारी बध के अपय मया के बंधना ला पोठ करे जाय ।

  • गउ अउ धरती महतारी के सेवा -
दूध,दहि,घी,गोबर अउ गोमूत्र जइसे दिब्य दवई के संगे-संग किसान के संगवारी बइला देवइय्या गउ माता अउ हमर जिनगी के सिरजइय्या धरती महतारी के जी जान ले सेवा करे जाय । ऋषि-कृषि ल बढ़ाया दिये जाय ।

  • सियान मन के आसीस -
सियान मनखे मन करा अनुभव अउ ज्ञान के अथाह भंडार रथे । ऊँच-नीच,सुख-दुख,अउ दुनियादारी सबला देखे सुने अउ सहे हे वोमन । ऊँखर छाइत अउ आर्शीवाद हमर ताकत ए ।
वोला बिसराना नइहे ।

  • खेती बँटवारा उचित नइहे -
खेती के बँटवारा नइ करके उपज ल बांटे म जादा भलई हे ।
  • पुरखउती खेल अउ लोक साहित्य के चलन -
हमर पुरखउती खेल कबड्डी,गोंटा,खो-खो,फुगड़ी,सुरगोड़ा के संग-संग लोक साहित्य
कहानी,कंथली, हाना-बाना,जनउला,लोकगीत ल जादा ले जादा चलन म लाये बर परही ।

  • नसा के नास अउ सापर भाव के आस -
बिनास के जर नसा अउ जुआ-चित्ती ले दुरिहा रहना जरूरी हे । सहकार-सापर के भावना ल पनपा के साहूकार मन के चंगुल ले बचे बर परही ।

दुनिया में कहां-कहां...


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