ना कोई चाहत है,
ना कोई अरमान है,
दिल में बस आग है,
दिल टूट जाने के बाद,
ना कोई आता था,
ना कोई जाता था,
तेरी गली में मेरे बाद,
ना जाने क्यों उसी गली में,
लोगों का जमघट है आज,
शायद...कोई मरा है,
जिसे वह जमघट लेकर जा रहे है शमशान,
जरा घर से बाहर निकलकर तो देखो,
कहीं मेरी ही तो नहीं वो मुर्दा लाश ..... ।।
- जयपाल सिंह ठाकुर

ग्रामीण परिवेश में हो रही गतिविधियों को आप तक पहुँचाने का एक छोटा सा प्रयास । हमारी संस्कृति, बोली भाषा, प्रकृति, साहित्य, रहन-सहन, पहनावा, खान-पान आदि को दूर-दूर तक ले जाने में यह एक माध्यम बने । एक ठेठ भारतीय गांवो में ग्रामीण जीवन और समाज बहुत सरल है, गांव में लोगों का जीवन एवं समाजिक स्थिति लगभग एक जैसी होती है यानि एकरूपता के साथ सामाजिक जीवन जीने में ही विश्वास करते है । हर सुख-दुख में आपसी सहयोग को ही अपना धर्म मानते है ।
बुधवार, 22 दिसंबर 2010
शनिवार, 23 अक्टूबर 2010
हमारी पुरातन धरोहर-जगन्नाथपुर का प्राचीन शिव एवं गणेश मंदिर (13-14वीं शताब्दी)
आधुनिक परिवेश में,आज के चकाचौंध की इस दुनिया में फैशन के नाम पर सावन के महिनें में, गणेश प्रतिमा स्थापना या नवरात्रि में दुर्गा प्रतिमा स्थापना, दशहरा के नाम पर लाखों-करोड़ों रूपये खर्च कर दिये जाते हैं । परंतु हम अपनी पुरातन महत्व की मंदिरों एवं मूर्तियों को संरक्षित नहीं कर पाये । कुछ दिनों पूर्व मुझे ग्राम जगन्नाथपुर से होते हुए बालोद जाना था ग्राम जगन्नाथपुर मेरे ग्राम परसतराई से दक्षिण दिशा में करीब 15 किमी. की दूरी पर स्थित है और बालोद से उत्तर की ओर 12 किमी की दूरी पर स्थित है इस ग्राम से गुजरते हुए मुझे राज्य शासन द्वारा लगाया गया एक सूचना पटल दिखाई दिया जिसे मैंने उत्सुकतावश रूककर देखना चाहा ।
मैंने अपने दुपहिया वाहन से कुछ देर रूककर प्राचीन मंदिर, मंदिर में स्थित भगवान गणेश जी एवं शिवलिंग के दर्शन किये । यह मंदिर 13-14वीं शताब्दी का है। 


जिन्हें छत्तीसगढ़ प्राचीन स्मारक पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम 1964 का (12) तथा नियम 1976 के अधिन राज्य संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है। ग्राम के प्राचीन तालाब तट पर स्थित यह मंदिर शासन एवं लोगों की उपेक्षा का शिकार है । और धीरे-धीरे खंडहर होते जा रहा है। मंदिर की दीवारों की छत व खंभों में दरारें पड़ गई है।


जीर्णोद्धार कार्य पुराने मंदिरों के अवशेषों से किया गया है किए गए प्लास्टर भी उखड़ रहे है देखरेख न होने के कारण शरारती तत्वों द्वारा भी इसे नुकसान पहुँचाया जा रहा है जो मंदिर की प्रतिमा,छत एवं खंभो को भी क्षतिग्रस्त कर रहे है किसी-किसी के द्वारा अपने नाम या अपनी प्रेमी-प्रेमिका के नाम को लिखा गया है ।
कुल मिलाकर राज्य शासन एवं संबंधित विभाग द्वारा इस प्राचीन महत्व की मंदिर को संरक्षित घोषित कर अपना पल्ला जरूर झाड़ लिये है परंतु वास्तविकता में यह प्राचीन मंदिर अपनी दशा पर आंसू बहा रहा है ।




जिन्हें छत्तीसगढ़ प्राचीन स्मारक पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम 1964 का (12) तथा नियम 1976 के अधिन राज्य संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है। ग्राम के प्राचीन तालाब तट पर स्थित यह मंदिर शासन एवं लोगों की उपेक्षा का शिकार है । और धीरे-धीरे खंडहर होते जा रहा है। मंदिर की दीवारों की छत व खंभों में दरारें पड़ गई है।



जीर्णोद्धार कार्य पुराने मंदिरों के अवशेषों से किया गया है किए गए प्लास्टर भी उखड़ रहे है देखरेख न होने के कारण शरारती तत्वों द्वारा भी इसे नुकसान पहुँचाया जा रहा है जो मंदिर की प्रतिमा,छत एवं खंभो को भी क्षतिग्रस्त कर रहे है किसी-किसी के द्वारा अपने नाम या अपनी प्रेमी-प्रेमिका के नाम को लिखा गया है ।

सोमवार, 10 मई 2010
गाँव तक पहुँची चीयर लीडर्स गर्ल्स ....

छत्तीसगढ़ में पहली बार क्रिकेट मैच में धूम मचा रही चियर लीडर्स गर्ल्स, गुण्डरदेही विकासखण्ड के ग्राम सिरसिदा में रात्रिकालीन टेनिस बाल क्रिकेट प्रतियोगिता का आनंद उठा रहे लोगों को साथ जिस प्रकार आईपीएल मैच में चीयर लीडर्स गर्ल्स गानों की धुन में नाच उठती है और दर्शकों का मनोरंजन करती है ठीक उसी प्रकार ग्राम सिरसिदा में मैच के दौरान हर चौके-छक्के लगने पर या विकेट उड़ने पर चीयर लीडर्स गर्ल्स के डाँस पर दर्शकों एवं खिलाड़ियों का मन भर देती है ।
छोटे से गाँव में शुरूआत इस प्रकार के आयोजनों में बड़े-बड़े शहरों को पीछे छोड़ दिया . ग्राम सिरसिदा में इस प्रकार के आयोजनों से क्षेत्रवासियों में काफी उत्साह एवं मनोरंजन की दृष्टि से काफी सफल साबित हुआ है . मैच के दौरान आसपास गाँव से आये लोगों में चीयर लीडर्स के डाँस को देखने महिला वर्ग के लोग भी पीछे नहीं रहे . महिलाएं भी इस मैच के साथ डाँस का मजा लेती रही । 30 अप्रैल से इस आयोजन का शुरूआत हुआ । सात दिनों के इस कार्यक्रम के दौरान किसी भी प्रकार का कोई विवाद नहीं हुआ . लोग दूर-दूर से चीयर लीडर्स को देखने के लिए आते थे क्योंकि इस तरह का आयोजन अभी तक कहीं नहीं हुआ । लोगों के लिए ये एक नई शुरूआत था क्योंकि ये सब टीवी पर ही प्रसारित की जाती है और वो भी बड़े बड़े आयोजनों में .
साभार
गोल्डी कुरैशी,
नवभारत पत्रकार, अरजुन्दा
शुक्रवार, 30 अप्रैल 2010
छ.ग. माध्यमिक शिक्षा मण्डल की बारहवीं की परीक्षा में मोहनीश द्वितीय स्थान पर रहे .....
छ.ग. माध्यमिक शिक्षा मण्डल रायपुर द्वारा आयोजित बारहवीं की परीक्षा में मोहनीश कुमार सिन्हा ने अपनी बहुमुखी प्रतिभा को प्रदर्शित करते हुए पूरे छत्तीसगढ़ में 96.2 प्रतिशत अंक लेकर द्वितीय स्थान पर रहे । उन्होने उक्त परीक्षा में हिन्दी में 94 ,अंग्रेजी में 94 भौतिक शास्त्र में 72 अंक प्रयोगिक 25 अंक, रसायन शास्त्र 72 अंक प्रायोगिक 25 अंक एवं गणित विषय में 99 अंक पाकर यह स्थान बनाया ।
बचपन से होनहार इस छात्र नें प्राथमिक शिक्षा गाँव के ही सरस्वती शिशु मंदिर मुक्त आश्रम हथौद (करहीभदर) से प्राप्त किया एवं कक्षा नवमीं शास.उच्च.माध्य.विद्यालय कन्नेवाड़ा में प्रवेश लेकर आगे की पढ़ाई पूरी की । कक्षा दसवीं में भी उच्चतम अंक लेकर उन्होने स्कूल में द्वितीय स्थान प्राप्त किया था ।
पिता श्री हृदय लाल सिन्हा एवं माती श्रीमती नंदिनी सिन्हा एवं गुरूजनों के कुशल मागदर्शन में उन्होने यह मुकाम हासिल किया । परिवार में उनकी एक छोटी बहन है वो भी उन्ही की तरह शुरू से ही मेघावी रही है इस वर्श उन्होने कक्षा दसवीं की परीक्षा दी है । रिश्तेदारी में मोहनीश मेरा साला (पत्नी से छोटा भाई) है .....
अंत में मोहनीश को शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना के साथ .....
बचपन से होनहार इस छात्र नें प्राथमिक शिक्षा गाँव के ही सरस्वती शिशु मंदिर मुक्त आश्रम हथौद (करहीभदर) से प्राप्त किया एवं कक्षा नवमीं शास.उच्च.माध्य.विद्यालय कन्नेवाड़ा में प्रवेश लेकर आगे की पढ़ाई पूरी की । कक्षा दसवीं में भी उच्चतम अंक लेकर उन्होने स्कूल में द्वितीय स्थान प्राप्त किया था ।
पिता श्री हृदय लाल सिन्हा एवं माती श्रीमती नंदिनी सिन्हा एवं गुरूजनों के कुशल मागदर्शन में उन्होने यह मुकाम हासिल किया । परिवार में उनकी एक छोटी बहन है वो भी उन्ही की तरह शुरू से ही मेघावी रही है इस वर्श उन्होने कक्षा दसवीं की परीक्षा दी है । रिश्तेदारी में मोहनीश मेरा साला (पत्नी से छोटा भाई) है .....
अंत में मोहनीश को शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना के साथ .....
सोमवार, 19 अप्रैल 2010
शुक्रवार, 26 मार्च 2010
गजल
वो मरेगा नहीं, बेहोश हो गया होगा ।
तन्हा जीने का अफसोस हो गया होगा ।।
हवा बड़ी बैचेन है, बोसुद बह रहा है ।
उसके पहलू को, शायद छू लिया होगा ।।
महक है गजब की धार में दरिया के ।
गेसूओं को अपनी, उसने धो लिया होगा ।।
नींद क्या आएगी, गमजदे को इक भला ।
याद में बोखुद, कुछ देर खो गया होगा ।।
सोडहं ये सागर खारा ही खारा है ।
किनारे बैठे कर, कोई रो गया होगा ।।
मिथलेश शर्मा निसार
तन्हा जीने का अफसोस हो गया होगा ।।
हवा बड़ी बैचेन है, बोसुद बह रहा है ।
उसके पहलू को, शायद छू लिया होगा ।।
महक है गजब की धार में दरिया के ।
गेसूओं को अपनी, उसने धो लिया होगा ।।
नींद क्या आएगी, गमजदे को इक भला ।
याद में बोखुद, कुछ देर खो गया होगा ।।
सोडहं ये सागर खारा ही खारा है ।
किनारे बैठे कर, कोई रो गया होगा ।।
मिथलेश शर्मा निसार
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