बुधवार, 22 दिसंबर 2010

मेरी चाहत....

ना कोई चाहत है,
ना कोई अरमान है,
दिल में बस आग है,
दिल टूट जाने के बाद,
ना कोई आता था,
ना कोई जाता था,
तेरी गली में मेरे बाद,
ना जाने क्यों उसी गली में,
लोगों का जमघट है आज,
शायद...कोई मरा है,
जिसे वह जमघट लेकर जा रहे है शमशान,
जरा घर से बाहर निकलकर तो देखो,
कहीं मेरी ही तो नहीं वो मुर्दा लाश ..... ।।

- जयपाल सिंह ठाकुर

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